Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

कोवैक्सिन के फेज-1 ट्रायल्स के नतीजे सामने आए; देश में बनी यह वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव


कोवैक्सिन के फेज-1 ट्रायल्स के नतीजे सामने आए; देश में बनी यह वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव




स्वदेशी कोरोना वैक्सीन- कोवैक्सिन बना रही कंपनी भारत बायोटेक की ओर से खुशखबरी आई है। कोवैक्सिन के फेज-1 ट्रायल्स के नतीजे विदेशी जर्नल मेड-आर्काइव (medRxiv) में आए हैं। इसमें दावा किया गया है कि वैक्सीन पूरी तरह से सेफ और इफेक्टिव है। इससे कोई गंभीर साइड-इफेक्ट नहीं हुए हैं।


कोवैक्सिन उन तीन वैक्सीन में से एक है, जिसके लिए ड्रग रेगुलेटर से इमरजेंसी अप्रूवल मांगा गया है। नवंबर में ही इस वैक्सीन के देशभर में 25 साइट्स पर 25,800 लोगों पर फेज-3 ट्रायल्स शुरू हुए हैं।


375 वॉलंटियर्स को 14 दिन के अंतर से डोज दिए


हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने यह वैक्सीन इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर डेवलप की है। फेज-1 क्लिनिकल ट्रायल BBV152 (कोवैक्सिन) वैक्सीन की सेफ्टी और इम्युनोजेनेसिटी जांचने के लिए की गई थी। इस दौरान 375 वॉलंटियर्स को तीन ग्रुप्स में रखा था। उन्हें अलग-अलग मात्रा में डोज दिए गए। दो डोज 14 दिन के अंतर से दिए गए।


माइल्ड साइड इफेक्ट दिखे, वे भी ठीक हुए


जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर वॉलंटियर्स को माइल्ड साइड-इफेक्ट्स हुए। यह भी जल्द ही रिजॉल्व कर लिए गए। एक गंभीर साइड-इफेक्ट रिपोर्ट हुआ था पर पता चला कि उसका वैक्सीनेशन से कोई लेना-देना नहीं है। सभी तीनों ग्रुप्स में बहुत अच्छा और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स दिखा। अलग-अलग डोज के नतीजों में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं दिखा। इसी के साथ कोरोनावायरस के कुछ स्ट्रेन्स को खत्म करने के गुण सभी वॉलंटियर्स में दिखाई दिए।


वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच स्टोर किया जा सकेगा


रिपोर्ट कहती है कि इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच स्टोर किया जा सकता है। यह नेशनल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम की कोल्ड चेन जरूरतों के मुताबिक है।


दोनों ही फॉर्मूलों को फेज-2 इम्युनोजेनेसिटी ट्रायल्स के लिए चुना गया था। कोवैक्सिन के फेज-2 ट्रायल्स खत्म हो चुके हैं। पर उसके नतीजे अब तक सामने नहीं आए हैं।


वैक्सीनेशन के बाद मोबाइल से लिया जाएगा फीडबैक, वैक्सीन की पूरी जानकारी भी मिलेगी


मोबाइल नंबर को ही रजिस्टर्ड कर बनाया जाएगा पहचान का बड़ा आधार


प्रथम चरण के वैक्सीनेशन के बाद सरकार एप को लांच कर देगी


कोरोना वैक्सीनेशन में मोबाइल नंबर को रजिस्टर्ड कर पहचान का बड़ा आधार बनाया जाएगा। वैक्सीन पड़ते ही मोबाइल पर पूरी जानकारी मैसेज के जरिए मिल जाएगी और इसी तरह से फीडबैक भी मोबाइल के जरिए लिया जाएगा। जो वैक्सीन लगाई गई उसका बैच नंबर से लेकर उससे जुड़ी हर जानकारी साझा करने की योजना पर काम किया जा रहा है। वैक्सीन लगने के बाद से क्या सावधानी बरतनी है, इसकी जानकारी भी मोबाइल पर ही दी जाएगी।


मोबाइल एप से मिलेगी जानकारी

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रथम चरण के वैक्सीनेशन के बाद सरकार एप को लांच कर देगी। यह आम लोगों के वैक्सीनेशन को लेकर काफी अहम होगा। Co-Win 20 एप पर पर पहले से रजिस्टर्ड लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी और वैक्सीन लगने के बाद इस एप पर पूरी जानकारी होगी। फीड बैक के साथ अन्य जानकारी को भी इसी एप के जरिए साझा किया जाएगा। इसे ऑटो जेनरेट मोड में तैयार किया जा रहा है। पटना के प्रतिरक्षण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एप को लेकर भी प्रशिक्षण देने की तैयारी चल रही है।


स्वास्थ्य विभाग वैक्सीन लगाकर देगा प्रमाण-पत्र

कोरोना की वैक्सीन लगाने के बाद स्वास्थ्य विभाग संबंधित व्यक्ति को प्रमाण-पत्र देगा। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा, वो वैक्सीन लगाए जाने की तस्दीक करेगा। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से बचाव की वैक्सीन लगाए जाने की तैयारियां तेज कर दी है। सोमवार को प्रधान सचिव के साथ अधिकारियों ने इस पर मंथन किया है।


आम लोगों को लेकर विशेष तैयारी

प्रथम चरण हेल्थ वर्करों को वैक्सीन दी जानी है, दूसरे चरण में फ्रंट लाइन वर्करों को वैक्सीन लगाई जाएगी। दोनों में सरकार को बड़ी चुनौती नहीं है लेकिन जब थर्ड फेज में सामान्य लोगों को वैक्सीन देने की बात आएगी तो समस्या बढ़ जाएगी। एक साथ लोगों को रजिस्टर्ड करना और उन्हें वैक्सीन देना बड़ी चुनौती होगी। यही कारण है कि पहले से ही युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही है। सोमवार को हुई प्रधान सचिव की बैठक में ऐसे ही कई चुनौतियों से निपटने को लेकर मंथन किया गया है।



पटना में कोरोना संक्रमित 1957, अस्पताल में सिर्फ 97; ऐसे में डॉक्टर से बचना पड़ सकता है भारी


खुद को होम आइसोलेशन में रखकर बड़ा खतरा मोल ले रहे हैं कोरोना संक्रमित


टोल फ़्री नम्बर पर कॉल करके भी ले सकते हैं डाक्टरी सलाह


डॉक्टर से दूर भाग रहे संक्रमित:पटना में कोरोना संक्रमित 1957, अस्पताल में सिर्फ 97; ऐसे में डॉक्टर से बचना पड़ सकता है भारी


खुद को होम आइसोलेशन में रखकर बड़ा खतरा मोल ले रहे हैं कोरोना संक्रमित


टोल फ़्री नम्बर पर कॉल करके भी ले सकते हैं डाक्टरी सलाह


पटना में 1957 लोग कोरोना संक्रमित हैं। अस्पताल में महज 97 लोग ही हैं। एक तिहाई लोग ऐसे हैं, जो डॉक्टर से परामर्श ही नहीं लिए हैं। लक्षण नहीं होने के कारण वह खुद को पूरी तरह से सुरक्षित मान रहे हैं, लेकिन हाल में कई ऐसे मामले आए हैं जो चौंकाने वाले हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बिना लक्षण वाला संक्रमण भी खतरनाक हो सकता है। पटना मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड के इंचार्ज डॉ. अरुण अजय ने तो ऐसे मरीजों के खून के क्लॉटिंग का खतरा बताया है।


गंभीर होने पर ही जा रहे अस्पताल

कोरोना वार्ड में इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि गंभीर होने के बाद ही मरीज अस्पताल आ रहे हैं। डॉक्टर भी मान रहे हैं कि जागरुकता का अभाव है और यही कारण है कि संक्रमण का पता चलने के बाद भी परामर्श लेने में भी लोग पीछे भागते हैं। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पटना में कुल 97 संक्रमित अस्पतालों भर्ती थे। पटना के AIIMS में 78, PMCH में 5, NMCH में 6, बिहटा ESI हॉस्पिटल में 3 और होटल अशोका में 5 संक्रमित हैं।


रिस्क जोन में होते हैं ऐसे मरीज

पटना मेडिकल कॉलेज कोविड वार्ड के प्रभारी डॉ अरुण अजय का कहना है कि ऐसे मामले बढ़े हैं जो बिना लक्षण के बाद अचानक से बिगड़ गए । कोरोना के कारण बिना लक्षण वाले मरीजों में ऐसा देखा गया है कि ब्लड में क्लॉट जम गए हैं। इस कारण से ब्रेन से लेकर हार्ट स्ट्रोक की समस्या आती है। पटना में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। डॉ अरुण अजय का कहना है कि बिना लक्षण के कोरोना संक्रमित जो घर में रहते हें और डॉक्टर से परामर्श नहीं लेते हें वह रिस्क जोन में होते हैं। ऐसे मरीजों में अगर कोई पुरानी बीमारी की हिस्ट्री है तो मामला और गंभीर हो जाता है।


खुद से अतिरिक्त ऑक्सीजन और बुखार की दवा घातक

डॉक्टर अरुण अजय का कहना है कि जो मरीज घर में हैं और खुद से ऑक्सीजन ले रहे हैं वह सावधान हो जाएं। ऐसे मरीजों के साथ समस्या हो सकती है। ऐसे लोगों का भी खतरा बढ़ जाता है जो बुखार की दवा खाकर बुखार व दर्द को दबा देते हैं। कुछ दिन बाद ऐसे संक्रमितों में कोई न कोई समस्या शुरू हो जाती है। संक्रमित होने के बाद बुखार को लगातार पैरासिटामॉल खाकर दबाना अच्छा नहीं, इसके लिए एक्सपर्ट की सलाह जरुरी है।


ब्लड थिकनेस की जांच जरुरी

डॉक्टरों का कहना है कि जिसके अंदर लक्षण नहीं है और वह कोरोना पॉजिटिव हैं, उन्हें भी डॉक्टर से परामर्श लेते रहना चाहिए। ऐसे संक्रमितों को ब्लड थिकनेस की जांच करानी चाहिए। डॉक्टरों को कहना है कि ऐसे मामले अधिक आ रहे हैं जो संक्रमित हुए और उन्हें कोई लक्षण नहीं आया लेकिन बाद में सांस में समस्या लेकर आते हैं। इसमें से कई ऐसे हैं, जिन्हें ऑक्सीजन या ICU में रखने की जरूरत पड़ जाती है। डॉक्टरों की सलाह है कि होम आइसोलेशन में रहने के बाद भी टोल फ्री नंबर पर डॉक्टर से संपर्क में रहें तो काफी हद तक खतरा टल जाएगा।

                 

               किर्पया आफ्नी राय दे।


Post a Comment

0 Comments