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WHO ने कहा- कोरोना वैक्सीन कोई सिल्वर बुलेट नहीं है; यानी वैक्सीन आने के बाद भी मास्क तो पहनना ही होगा

 WHO ने कहा- कोरोना वैक्सीन कोई सिल्वर बुलेट नहीं है; यानी वैक्सीन आने के बाद भी मास्क तो पहनना ही होगा




जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस वैक्सीन को इस महामारी के खिलाफ ब्रह्मास्त्र मान रही है, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक बयान ने सबको चौंका दिया है। WHO के वेस्टर्न पैसिफिक ऑफिस ने कहा है कि



 वैक्सीन कोई सिल्वर बुलेट (अचूक हथियार) नहीं है, जिससे एक झटके में एक साल से पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही महामारी खत्म हो जाएगी। आइए समझते हैं कि इस बयान के जरिए WHO क्या कहना चाह रहा है...


क्या कहा WHO के रीजनल डायरेक्टर ने?


WHO में वेस्टर्न पेसिफिक के रीजनल डायरेक्टर ताकेशी कासई ने वर्चुअल मीडिया ब्रीफिंग में गुरुवार को कहा कि जब तक वायरस सोसायटी में सर्कुलेट हो रहा है, तब तक हम सभी रिस्क में हैं। 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं और सोशल स्तर पर एक्टिव लोगों को इंफेक्शन से खुद को बचाना होगा।




उन्होंने कहा कि सुरक्षित और असरदार वैक्सीन बनाना एक बात है और उन्हें पर्याप्त मात्रा मैन्युफैक्चर कर हर एक तक पहुंचाना दूसरी बात। यह शुरुआत में कुछ ही लोगों तक पहुंचने वाली है। हाई-रिस्क ग्रुप्स को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाई जा रही है।




WHO के बयान का क्या मतलब है?


यह बात पहले भी हो चुकी है कि वैक्सीन आने के बाद भी एकाएक हालात नहीं सुधरने वाले। ताकेशी कासई के मुताबिक, हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत नहीं है। हमें न केवल अपने आपको बल्कि अपने से जुड़े सभी लोगों को कोरोना से बचाकर रखना है। इसके लिए हमें सतर्कता रखनी ही होगी।


उन्होंने दोहराया कि बार-बार हैंडवॉश, घर के बाहर मास्क पहनना होगा, फिजिकल डिस्टेंसिंग कायम रखना होगा और ट्रांसमिशन के हाई रिस्क वाले क्षेत्रों में जाने से बचना होगा। इस समय हमें ऐसे फैसले लेने हैं जो ट्रांसमिशन रोकेंगे। ऐसा कर हम 2021 में उम्मीद के साथ जा सकते हैं।


तो क्या वाकई में वैक्सीन आने से कुछ नहीं बदलेगा?


ऐसा कहना गलत होगा कि कुछ नहीं बदलेगा। दरअसल, ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई देशों में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके बाद भी फिलहाल वैक्सीन इतनी मात्रा में नहीं है कि सबको एक साथ लग जाए।


एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह वैक्सीन सिर्फ आपके शरीर को वायरस से लड़ने के लिए तैयार करने में है। इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस का ट्रांसमिशन थम जाएगा। कुछ लोगों में यह गंभीर स्थिति तक भी जा सकता है। इस वजह से WHO से लेकर सभी सरकारों का आग्रह है कि मास्क पहनना न छोड़ें, सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखें और हाई-रिस्क वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।


वैसे, जिन्हें वैक्सीन लगी है उनका क्या होगा?


यह समझना होगा कि भारत में इस समय ट्रायल्स ही चल रहे हैं। हमें यह भी नहीं पता कि किसे वास्तविक वैक्सीन लगा है और किसे ट्रायल्स में इस्तेमाल होने वाली प्लेसिबो लगाई गई है। ऐसे में जरूरी है कि सोशल डिस्टेंसिंग समेत सभी नियमों का पालन किया जाए।


ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों में फाइजर की वैक्सीन लगाई जा रही है, जो न्यू मैसेंजर RNA यानी mRNA तकनीक से बनाई गई है। इसे लोगों की बांह पर इंजेक्ट किया जा रहा है। 


ये वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने में मदद करेगी। तीन हफ्ते में दो डोज देने के बाद वैक्सीनेटेड इंसान के शरीर में बनी एंटीबॉडी उसे कोरोना के खतरे से बचाएंगी।


अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के मुताबिक फाइजर की वैक्सीन का पहला डोज लगते ही कोविड-19 के गंभीर संक्रमण का खतरा टल जाता है। पहले डोज के बाद और दूसरे डोज से पहले कोरोना होने का खतरा कम हो जाता है।


 वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के कम से कम सात दिन बाद कोरोना होने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी रिपोर्ट में इस वैक्सीन को हाइली इफेक्टिव बताया है।


क्या वैक्सीन लगने के बाद मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं होगी?


बिल्कुल होगी। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि हमें नहीं पता कि कितने लोगों को वैक्सीन लगने के बाद हर्ड इम्युनिटी डेवलप होगी। दरअसल, अलग-अलग बीमारियों में हर्ड इम्युनिटी की जरूरत अलग-अलग होती है। मीजल्स की वैक्सीन 99% आबादी को लगने पर ही हर्ड इम्युनिटी बनती है। पोलियो में 80% आबादी को वैक्सीन लगने पर यह स्थिति बनती है और तब 20% बची हुई आबादी को पोलियो से सुरक्षित रखा जा सकता है।


इस समय भारत में करीब 10% आबादी ही कोविड-19 से इन्फेक्ट हुई है, ऐसे में कुछ भी नहीं पता कि हर्ड इम्युनिटी कितने कवरेज पर आएगी? इस वजह से वैक्सीन लगने के बाद भी कुछ समय तक हमें मास्क लगाने की जरूरत होगी ही। बात सिर्फ भारत की नहीं बल्कि उन देशों की भी है, जहां वैक्सीन लगाई जा रही है।


मॉडल माने गए साउथ कोरिया में संक्रमण के मामले बढ़े, पहली बार लॉकडाउन लगाने की नौबत आई



कोरोना दुनिया में:मॉडल माने गए साउथ कोरिया में संक्रमण के मामले बढ़े, पहली बार लॉकडाउन लगाने की नौबत आई


यह तस्वीर सियोल की है। यहां रेलवे स्टेशन के बाहर बनाए अस्थायी सेंटर पर टेस्ट के लिए लाइन लगी है। साउथ कोरिया में अब तक कोरोना के कुल 45 हजार 442 मामले सामने आ चुके हैं।


दुनिया में अब तक 7.41 करोड़ से ज्यादा संक्रमित, 16.48 लाख मौतें हो चुकीं, 5.20 करोड़ स्वस्थ


अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा 1.71 करोड़ से ज्यादा, अब तक 3.11 लाख लोगों ने गंवाई जान


साउथ कोरिया के हेल्थ डिपार्टमेंट ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे कोरोना की वजह से लगाई गई पाबंदियों को गंभीरता से लें। देश में संक्रमण के नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो यहां पहली बार लॉकडाउन लगाना पड़ेगा। साउथ कोरिया में कुल 45 हजार 442 मामले मिल चुके हैं। बीते 24 घंटों में यहां 1078 नए मरीज मिले हैं।


साउथ कोरिया को कोरोना से लंबे समय तक बेहतर तरीके से निपटने के लिए मॉडल देश माना जाता है। यहां के हेल्थ डिपार्टमेंट ने वायरस का फैलाव रोकने में काफी हद तक कामयाबी पाई है। इसके लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी तारीफ की थी।


साउथ कोरिया कोरोना वायरस की चपेट में सबसे पहले आने वाले देशों में शामिल है। इसके बावजूद उसे बाकी देशों की तरह सख्त लॉकडाउन जैसे तरीके नहीं अपनाने पड़े। इसके बजाय सरकार ने टेस्ट और ट्रेस तकनीक का सहारा लिया। हालांकि, सर्दियों में संक्रमण बेकाबू होने लगा है। यहां कथित तौर पर आई कोरोना की तीसरी लहर के कारण नए संक्रमणों में बहुत बढ़ोतरी हुई है।


हेल्थ मिनिस्ट्री के सीनियर ऑफिसर यून ताए हो ने बुधवार को सियोल मेट्रोपॉलिटन एरिया के लोगों से सोशल डिस्टेंस का पालन करने की अपील की। इस एरिया में देश की आधी आबादी रहती है। अभी यहां पाबंदियों का लेवल 2.5 पर है। लेवल-3 पर लॉकडाउन लगा दिया जाएगा।


बायोएनटेक वैक्सीन की 10 करोड़ वैक्सीन खरीदेगा चीन


दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7.41 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 16 लाख 48 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। 


उधर, चीन के शंघाई फोसन फार्मास्युटिकल ग्रुप ने जर्मनी की बायोएनटेक कंपनी के 100 करोड़ डोज खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए करीब 15.2 करोड़ डॉलर का शुरुआती पेमेंट भी कर दिया गया है।



 माना जा रहा है कि साल के आखिर तक 5 करोड़ डोज बायोएनटेक चीनी कंपनी को सौंप देगी। कुल डील 30.4 करोड़ डॉलर की है। चीन सरकार इस डील को जल्द मंजूरी दे सकती है।


वैक्सीन लगवाने से न डरें अमेरिकी


डोनाल्ड ट्रम्प जल्द ही अमेरिकी नागरिकों से वैक्सीनेशन में हिस्सा लेने की अपील करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्केन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कैली ने एक सवाल के जवाब में कहा- बिल्कुल। राष्ट्रपति चाहते हैं कि अमेरिकी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में हिस्सा लें और इससे बचने की कोशिश न करें। 



उनकी मेडिकल टीम जब भी कहेगी वे खुद भी वैक्सीन लगवाएंगे। हालांकि, उनकी प्राथमिकता यह है कि जिन लोगों को सबसे ज्यादा वैक्सीन की जरूरत है, वे पहले इसे लगवाएं। हम चाहते हैं कि सिक्योरिटी ऑफिशियल्स को भी वक्त पर यह वैक्सीन मिले।




अब घर में कर सकेंगे कोरोना टेस्ट


ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना की होम टेस्ट किट तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। यह किट एल्यूमे कंपनी ने तैयार की है। खास बात यह है कि अमेरिकी सरकार ने इसको अपने देश में इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है।


अमेरिका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एक बयान में कहा- इस टेस्ट किट से 20 मिनट में कोविड-19 का टेस्ट रिजल्ट आ जाएगा। इस टेस्ट किट में नाक से स्वाब लेकर टेस्ट किया जाता है। इसके लिए स्मार्टफोन ऐप की जरूरत होगी क्योंकि इस्तेमाल का तरीका इसी ऐप में दिया गया है। यूजर को कुछ जानकारियां देनी होंगी।


नीदरलैंड्स में लॉकडाउन शुरू


नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने मंगलवार से देश में पांच हफ्ते का सख्त लॉकडाउन घोषित कर दिया। रूट ने साफ कर दिया कि फिलहाल, कोरोनावायरस को रोकने के लिए इससे ज्यादा असरदार कोई उपाय नहीं है।



 उन्होंने कहा- हम सख्त लॉकडाउन लगाने जा रहे हैं। इस दौरान स्कूल, दुकानें, म्यूजियम और जिम बंद रहेंगे। 19 जनवरी के पहले किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हम चाहते हैं कि भविष्य में हालात भयावह होने से रोके जाएं और इसके लिए सख्त कदम तो उठाने ही होंगे।


जिस समय मार्क लॉकडाउन का ऐलान कर रहे थे, उसी वक्त उनके ऑफिस के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी सख्ती के विरोध में नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार ने कहा है कि किसी भी घर में ज्यादा से ज्यादा दो मेहमान ही आ सकते हैं और इसके लिए भी लोकल अथॉरिटीज को जानकारी देनी होगी। हालांकि, माना जा रहा है कि सरकार 24 से 26 दिसंबर के बीच कुछ राहत दे सकती है।



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