भारतने बनाया कोरोना वैक्सिन बाएं हाथ के बाजू में बच्चों वाली निडिल से लगेगी 0.5 ML की कोरोना वैक्सीन,
पटना में वैक्सीन लगाने वालों को ट्रेनिंग देने की चल रही तैयारी
पहले राज्य फिर जिला और फिर अनुमंडल स्तर पर प्रशिक्षण, वैक्सीन देने लिए तैयार हुई 2 हजार लोगों की सूची
कोरोना वैक्सीन लगवाने में ज्यादा दर्द नहीं होगा। बाएं हाथ के बाजू में बच्चों वाली निडिल से 0.5 ML वैक्सीन दी जाएगी। पटना में इसके लिए दो हजार हेल्थ वर्करों को ट्रेंड किया जाएगा। सूची तैयार है और प्रशिक्षण का खाका भी बना लिया गया है। अब राज्य से लेकर प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण देने के लिए तिथि तय की जा रही है। प्रधान सचिव से लेकर DM तक वैक्सीन प्रशिक्षण को लेकर मंथन करने में लगे हैं।
बारीक वाली निडिल से नहीं होगा दर्द
वैक्सीन की तैयारी में लगे स्वास्थ्य विभाग के एक्सपर्ट का कहना है कि वैक्सीन के प्रशिक्षण को लेकर जो खाका तैयार किया गया है, उसके मुताबिक बच्चों को दी जाने वाली एकदम बारीक वाली निडिल से ही कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। इससे छोटे बच्चों को BCG और अन्य वैक्सीन दी जाती है। एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक इस संबंध में जो बताया गया है, उसके अनुसार एक व्यक्ति को 0.5 ML ही डोज दिया जाएगा।
28 दिनों के अंतराल पर 0.5 ML की 2 डोज
कोरोना वैक्सीन की तैयारी में जुटे स्वास्थ्य विभाग के एक्सपर्ट का कहना है कि 28 दिनों में वैक्सीन की दो डोज देनी होगी। इसमें दोनों बार बच्चों वाली निडिल से ही 0.5 ML डोज देनी होगी।
31 दिसंबर तक पूरा कराना है प्रशिक्षण
कोरोना वैक्सीन को लेकर 31 दिसंबर तक प्रशिक्षण पूरा कर लेना है। पटना में 2 हजार लोगों की सूची तैयार कर ली गई है। अब इनको प्रशिक्षित करने को लेकर तिथि तय की जा रही है।
ऐसे चलेगा प्रशिक्षण का क्रम
वैक्सीन लगाने को लेकर प्रशिक्षण की तैयारी में जुटे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले राज्य स्तर पर मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे। इसके बाद वह मास्टर ट्रेनर जिले के ट्रेनरों की टीम तैयार करेंगे। प्रदेश और जिला स्तर के मास्टर ट्रेनरों की जिम्मेदारी होगी कि वह प्रखंड स्तर पर ट्रेनरों को तैयार करें। प्रशिक्षकों की पूरी चेन तैयार होने के बाद वैक्सीन देने की तैयारी पूरी हो जाएगी। प्रतिरक्षण की तैयारी में लगे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 31 दिसंबर तक प्रशिक्षण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
AIIMS के सहयोग में खड़े ESI अस्पताल में कल से कोरोना का इलाज बंद, 100 बेड ICU समेत 200 जनरल बेड की सेवा खत्म
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश, मरीजों को थी बड़ी राहत
बनाया गया था पीएम केयर हॉस्पिटल, एम्स की आईसीयू फुल होने पर रेफर होते थे मरीज
बिहटा के ESI हॉस्पिटल में अब कोरोना का इलाज नहीं होगा। इसकी पहचान पीएम केयर हॉस्पिटल के नाम से थी और मरीजों को इससे बड़ी राहत थी। गुरुवार 17 दिसंबर से इसको बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया है। दैनिक भास्कर के पास इस बात की जानकारी है कि ESI हॉस्पिटल के सैनिटाइजेशन की पूरी प्रक्रिया के बाद सामान्य इलाज की व्यवस्था की जाएगी। पटना एम्स की ICU हमेशा फुल रहती है और ऐसी परिस्थिति में मरीजों को ESI अस्पताल ही रेफर किया जाता था।
100 बेड का ICU संक्रमितों के लिए रही संजीवनी
बिहटा के ESI हॉस्पिटल को पीएम केयर हॉस्पिटल की पहचान तो थी ही, साथ ही यह कोरोना संक्रमितों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं था। यहां 200 बेड होने के कारण मरीजों को भर्ती करने में कोई समस्या नहीं होती थी। इतना ही नहीं यहां की ICU भी 100 बेड की थी जहां हर आधुनिक सुविधाएं दी गई थीं। कोरोना की मार झेल रहे मरीजों के लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं था।
एम्स फुल होने पर था बड़ा सहारा
एम्स की ICU हमेशा मरीजों से फुल रहती है। यहां से मरीजों अक्सर रेफर करना पड़ता है। ICU जब भी मरीजों से फुल होती थी उन्हें ESI हॉस्पिटल ही भेजा जाता रहा है। अब ESI हॉस्पिटल में कोरोना का इलाज बंद होने से ऐसे मरीजों के सामने बड़ा संकट होगा।
जारी हो गया है आदेश, अब नहीं होगा इलाज
पटना एम्स के कोविड विभाग के नोडल अफसर डॉ. संजीव का कहना है कि गुरुवार से ESI हॉस्पिटल में कोरोना का इलाज नहीं होगा। इस संबंध में आदेश जारी हो गया है। मरीजों को लेकर अब व्यवस्था की जा रही है।
क्लास के लिए रोज जा रहे थे कॉलेज, निदेशक बोले- ऑनलाइन चल रही थी पढ़ाई
IGIMS ( इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान) के 4 मेडिकल स्टूडेंट्स कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। 1 दिसंबर से यहां क्लास शुरू हुई थी, जिसके बाद स्टूडेंट नियमित आ रहे थे। कोरोना पॉजिटिव छात्र फिलहाल होम आइसोलेशन में हैं लेकिन वह जांच की रिपोर्ट आने से पहले रेगुलर क्लास में शामिल हो रहे थे। हालांकि, IGIMS के निदेशक डॉ. एन आर विश्वास स्टूडेंट्स के क्लास आने की बात को नकार रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी ऑनलाइन क्लास चल रही थी लेकिन छात्रों के अनुसार चारों छात्र क्लास में शामिल होने कॉलेज आ रहे थे। निदेशक द्वारा जारी नोटिफिकेशन पर ही 1 दिसंबर से क्लास शुरू की गई थी। अब कई विभागों ने तो कोरोना के खतरे को लेकर क्लास लेने से मना कर दिया है। मांग की जा रही है कि क्लास के पहले सभी छात्रों की कोरोना जांच कराई जाए।
IGIMS में पढ़ रहे छात्रों में कोरोना को लेकर दहशत है। वह क्लास जाने से घबरा रहे हैं। अब छात्र मांग कर रहे हैं कि क्लास की व्यवस्था ऑनलाइन ही की जाए नहीं तो समस्या बढ़ जाएगी। इससे पहले IIT मद्रास में भी ऐसी लापरवाही हुई जिसके बाद वहां कोरोना का बम फटा था। 104 स्टूडेंट्स ऐसे ही क्लास के कारण कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। बाद में IIT को ही बंद कराना पड़ा था। यहां 7 दिसंबर से क्लास की गई थी।
फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट ने की जांच की मांग
फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट ने संस्थान के चार स्टूडेंट्स के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अब सभी छात्रों की कोरोना जांच कराने की मांग की है। बताया जा रहा है कि विभाग कोरोना के खतरे को लेकर क्लास लेने से बच रहा है। स्टूडेंट्स की संख्या भी अब कम हो रही है। संस्थान से जुड़े लोगों का कहना है कि MBBS में 80-90 स्टूडेंट्स की क्लास चलती थी। संक्रमित छात्र किसके संपर्क में आए, कौन-कौन संक्रमण की जद में आया, इसकी जांच नहीं हो पाई है।
पहले दिया क्लास का आदेश, अब बोल रहे ऑनलाइन होती थी पढ़ाई
IGIMS के निदेशक डॉ. एन आर विश्वास ने आदेश जारी किया था कि 1 दिसंबर से MBBS की कक्षाएं नियमित चलेंगी लेकिन जब कोरोना का मामला आया तो अब निदेशक का कहना है कि ऑनलाइन ही क्लास चल रही थी। अगर इस गंभीर मामले को छुपाया गया और कांटेक्ट ट्रेसिंग नहीं कराई गई तो कोरोना का बड़ा खतरा होगा।
1 Comments
Waoo
ReplyDeletethanks for reading and visits this site